संस्कृति है चूल्हे में परंपराएं पानी में
रिश्तों को भी तोलते हैं अब लाभ हानि में
चाचा चाची वाला प्यार कहीं खो गया
पश्चिम की संस्कृति का बीज कौन बो गया
एक बच्चे वाला ट्रेंड जब से ये आ गया
मौसा मौसी जैसे सब रिश्तों को खा गया
दादी के भजन देखो गुम कहीं हो गए
सुबह को गंगा गाने वाले सुर सो गए
रातों को रामायण की चौपाई सुनाते थे
कांधे पे बिठा के हमें मेले में घुमाते थे
दीवाली को हर साल कपड़े सिलाते थे
चार आने वाली हमें कुल्फी खिलाते थे
वो दौर दादा दादी वाला कहीं खो गया
कहानियों की जगह कौन कार्टून बो गया
कैंडल बुझाने वाले दीप क्या जलाएंगे
Dj वाले युवा कैसे लोक गीत गाएंगे
आंखों की शर्म देखो कैसे मर जाती है
अधनंगे बदन से रील वो बनाती है
भारत में नंगापन आम कैसे हो गया
सावित्री का संस्कार नीलाम कैसे हो गया
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