Monday, September 16, 2024

मर्यादा चूल्हे में


 संस्कृति है चूल्हे में परंपराएं पानी में

रिश्तों को भी तोलते हैं अब लाभ हानि में

चाचा चाची वाला प्यार कहीं खो गया

पश्चिम की संस्कृति का बीज कौन बो गया 

एक बच्चे वाला ट्रेंड जब से ये आ गया

मौसा मौसी जैसे सब रिश्तों को खा गया 




दादी के भजन देखो गुम कहीं हो गए

सुबह को गंगा गाने वाले सुर सो गए

रातों को रामायण की चौपाई सुनाते थे

कांधे पे बिठा के हमें मेले में घुमाते थे 

दीवाली को हर साल कपड़े सिलाते थे

चार आने वाली हमें कुल्फी खिलाते थे

वो दौर दादा दादी वाला कहीं खो गया

कहानियों की जगह कौन कार्टून बो गया


कैंडल बुझाने वाले दीप क्या जलाएंगे

Dj वाले युवा कैसे लोक गीत गाएंगे

आंखों की शर्म देखो कैसे मर जाती है

अधनंगे बदन से रील वो बनाती है

भारत में नंगापन आम कैसे हो गया

सावित्री का संस्कार नीलाम कैसे हो गया

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