आटा

एक कविता से प्रेरित...


एक आदमी समाज की  एकता का आटा लाता है,

दूसरा आदमी  उस को  अपनी मेहनत से बेलता है,

ये तीसरा कौन है जो न कुछ लाता है न ही बेलता है,

पद  लोलुप होकर  समाज की एकता से  खेलता है,

मौन होकर पूरा समाज आखिर क्यों उसे झेलता है ।





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