Monday, July 15, 2024

आटा

एक कविता से प्रेरित...


एक आदमी समाज की  एकता का आटा लाता है,

दूसरा आदमी  उस को  अपनी मेहनत से बेलता है,

ये तीसरा कौन है जो न कुछ लाता है न ही बेलता है,

पद  लोलुप होकर  समाज की एकता से  खेलता है,

मौन होकर पूरा समाज आखिर क्यों उसे झेलता है ।





No comments:

Post a Comment

Pls read and share your views on
manojnaayaab@gmail.com