टूटते पुल

ध्वस्त हो रही मर्यादाएं 
टूटती जा रही है परंपराएं 
भरभराकर गिरते रिश्ते
है बिहार के टूटते पुल पैगाम की तरह ।

क्या नहीं किया सनम तेरे इश्क़ में
लड़ बैठे जहां से सनम तेरे इश्क़ में
हमने सोचा न था बेवफ़ा निकलोगी
अयोध्या की आवाम की तरह ।

तुम बिन ए साथी
ठहर सी गई है जिंदगी 
रुक सी गई है सांसे 
दिल्ली के ट्रैफिक जाम की तरह ।

मनोज नायाब ✍️

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