Sunday, April 21, 2024

फासला


 मदारी की डुगडुगी और
 चादर पर गिरते सिक्कों 
 के बीच का फासला 
 ही भूख है ।
 
पेशानी का पसीना 
और मिलने वाले मेहनताने 
के बीच की दूरी ही
गुरबत है ।

पतझड़ के बाद 
बसंत से पहले 
झांकती हुई कोंपलें
ही उम्मीद है ।

पलकों का 
लजा कर गिरना
और मचल कर उठने का
फासला ही इश्क़ है ।

अधपकी सुखी फसल
और आसमान में 
मंडराते बादल के बीच की दूरी 
ही आशाएं है ।

गुब्बारे बेचता हुआ एक बच्चा
गुब्बारे बंधे बांस और बच्चे के 
बीच की दूरी ही 
लाचारी है ।

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