फासला
मदारी की डुगडुगी और
चादर पर गिरते सिक्कों
के बीच का फासला
ही भूख है ।
पेशानी का पसीना
और मिलने वाले मेहनताने
के बीच की दूरी ही
गुरबत है ।
पतझड़ के बाद
बसंत से पहले
झांकती हुई कोंपलें
ही उम्मीद है ।
पलकों का
लजा कर गिरना
और मचल कर उठने का
फासला ही इश्क़ है ।
अधपकी सुखी फसल
और आसमान में
मंडराते बादल के बीच की दूरी
ही आशाएं है ।
गुब्बारे बेचता हुआ एक बच्चा
गुब्बारे बंधे बांस और बच्चे के
बीच की दूरी ही
लाचारी है ।
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