ख्वाब न होता


इश्क़ न किया होता तो तूं यूँ बर्बाद न होता
आंख न लगती तो तेरा ख्वाब न होता 

हुक्मरानों की बात पे न जाते अगर तुम
किसी शहर में कभी कोई फसाद नहीं होता

वक्त रहते अगर मरहम रख देते ज़ख्म पर मेरे
तो नासूर में ये इतना मवाद न होता 

दवाइयां अगर इतनी महंगी न होती तो
दुनियां में ताबीजों का कभी ईजाद नहीं होता

तकरीरें करते हो इलेक्शन के वक्त तुम इतनी
हम पूछते जब सवाल तो कोई जवाब नहीं होता

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