बिना मतले कि ग़ज़ल


बच्चे अनाथ घूम रहे हैं यहां
कुत्तों को पाला जा रहा है ।

अंधेरों की भर्ती हो रही और 
उजालों को निकाला जा रहा है ।

तुम फिर से नई कसमें खाने लगे जबकि
पुराने वादों को टाला जा रहा है ।

तुम पसीने से लथपथ यूं कि मानो
चाँद को पानी में उबाला जा रहा है ।

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