बिना मतले कि ग़ज़ल
बच्चे अनाथ घूम रहे हैं यहां
कुत्तों को पाला जा रहा है ।
अंधेरों की भर्ती हो रही और
उजालों को निकाला जा रहा है ।
तुम फिर से नई कसमें खाने लगे जबकि
पुराने वादों को टाला जा रहा है ।
तुम पसीने से लथपथ यूं कि मानो
चाँद को पानी में उबाला जा रहा है ।
वाह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह! क्या बात है!
ReplyDeleteधन्यवाद
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