समंदर दूर कितना है छंद


वो थककर चूर इतना है फिर भी शऊर कितना है
तू बहते जा रवानी में जोश भरपूर जितना है 
नदी पूछे न पहाड़ों से नदी पूछे न बहारों से
नदी पूछे न किनारों से समंदर दूर कितना है ।

मुझको अपना लेना तुम की सुनले ए मेरे सागर
मुझको अपना लेना तुम की सुनले ए मेरे सागर
मैं मीरा हूँ दीवानी सी तू मेरा है नटवर नागर
ज़हर धोखे से देता है ज़माना क्रूर कितना है ।
वो थककर चूर इतना है 

निहारूँगा तुझे जी भर मगर पहले सजन मेरे
ले लू अंक में तुझ को मगर पहले सजन मेरे
बदन पे तेरे मल दूँ मैं चांद में नूर जितना है ।
वो थककर चूर....

वो देखो हौसला उसका वो देखो कुव्वतें उसकी
पहाड़ों से टकरा जाना वो देखो जुररतें उसकी
चुनौती देता पर्बत को कंकर में गुरुर कितना है ।

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