मत चूको चौहान
शिव दर्शन पाने को आतुर
सदियों से बैठा नंदी
सौ करोड़ का गौरव क्यों
बना हुआ अब भी बंदी
तुष्टिकरण का आंखों पर
चढ़ा हुआ था मोतियाबिंद
धर्म संस्कृति पर हमलों से
घायल पड़ा हुआ था हिन्द
कायरता का ओढ़ दुशाला
पीती रही घी सत्ता
उपवन अब भी खतरे में है
चीख रहा पत्ता पत्ता
समय आ चला है अब
पुनः इतिहास रचाने का
वक्त हो चला है फिर से
खोया गौरव पाने का
कर लेना हिसाब अब की
पैसा पाई आने का
वक्त हो चला है अबकी
सूद सहित लौटाने का
ये कोशिश आखिरी है
रख लेना तुम भी ये ध्यान
दुश्मन चढ़ बैठेगा छाती पर
अब की जो चुके चौहान ।
खुद भोले ने भेजा धरती पर
अपना एक कुशल देवदूत
वो वसूल कर लेगा अब की
एक एक इंची एक एक सूत ।
गूंजेगा पूरी काशी में
भोले का डमरू डम डम डम
माँ गौरी की पायल अब
गूंजेगी छम छम छम छम ।
मनोज नायाब
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