मेरी कलम न लिख पाएगी

नायाब --


तेरे रूप की कायल हो
चाहे दुनियां ये सारी
लाख नशीली आंखें होंगी
होगी बेजोड़ अदाकारी

माफ करना दोस्त मेरे
मेरी कलम लिख न पाएगी
हुश्नो इश्क़ का वक्त नहीं है
ये तराने देश के गाएगी

जब मचा हो हर तरफ 
चीत्कार ही चीत्कार
हो रही हो मानवता
छिन्न भिन्न और तार तार

जब देश धर्म पर आए आंच
लिखना होगा मुझको साँच

चांद सितारों की बातें
प्रेम प्रसंग की वो रातें

हुश्न और इश्क़ पर 
लफ्फाज कशीदा कारी
माफ करना दोस्त मेरे
मेरी कलम लिख न पाएगी
मेरी ये अनमोल कलम
बस गीत राष्ट्र के गाएगी ।

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