राधा हो जाऊं
यादों में चांद सा जल कर आधा हो जाऊं ।
जो दिल करे रोने का तो मैं कांधा हो जाऊं ।
जमना के तट पर फिर खिले प्रेम के पुष्प ।
दिल करता है आज इश्क़ में राधा हो जाऊं ।
चालाकियां मक्कारियाँ सब करके देखा मैंने ।
अच्छा यही होगा इंसा सीधा साधा हो जाऊं ।
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