तुमने छोड़ दिया
निरीह सड़कों पर हमें
कर के बेघर,
हमने क्या नहीं किया
तुम्हारी लौह कल कारखानों की
निष्प्राण मशीनों को हमने
लहू और पसीना देकर प्राणवान किया,
तुम्हारे कारखाने सिर्फ बिजली
से नहीं चलते थे
इन मशीनों के दिल में हम
अपनी धड़कनें निकालकर डालते थे
तब ये गड़गड़ाती थी
और इस बुरे वक्त में
तुमने हमसे ही किनारा कर लिया
तुम्हारे पास जब बड़े बड़े आर्डर
आते थे तो जाने क्यो हम भी
बहुत खुश होते थे और ताली बजाते थे
रात रात की शिफ्ट करके
अपनी नींद झोंक देते थे
और तुमने हमें ही रातोरात
बेघर कर दिया
सड़कों पर छोड़ दिया भूख से मरने को
हमें नहीं पता था इन मशीनो
की तरह इनके आका भी
हृदय विहीन होते हैं ।
मनोज " नायाब "
निरीह सड़कों पर हमें
कर के बेघर,
हमने क्या नहीं किया
तुम्हारी लौह कल कारखानों की
निष्प्राण मशीनों को हमने
लहू और पसीना देकर प्राणवान किया,
तुम्हारे कारखाने सिर्फ बिजली
से नहीं चलते थे
इन मशीनों के दिल में हम
अपनी धड़कनें निकालकर डालते थे
तब ये गड़गड़ाती थी
और इस बुरे वक्त में
तुमने हमसे ही किनारा कर लिया
तुम्हारे पास जब बड़े बड़े आर्डर
आते थे तो जाने क्यो हम भी
बहुत खुश होते थे और ताली बजाते थे
रात रात की शिफ्ट करके
अपनी नींद झोंक देते थे
और तुमने हमें ही रातोरात
बेघर कर दिया
सड़कों पर छोड़ दिया भूख से मरने को
हमें नहीं पता था इन मशीनो
की तरह इनके आका भी
हृदय विहीन होते हैं ।
मनोज " नायाब "
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