हे आम इंसान तुम ही क्यों
मरते हो ।
मरते हो ।
सरहद पर तोप से
सूखे के प्रकोप से
सूखे के प्रकोप से
बाज़ारों में बम फटने से
मज़हबी दंगों में कटने से
मज़हबी दंगों में कटने से
सूखे की मार से
बिजली के तार से
बिजली के तार से
जाति में बंटकर
तो कभी ट्रेन से कटकर
तो कभी ट्रेन से कटकर
दबंगों के शोषण से
बच्चे कुपोषण से
बच्चे कुपोषण से
मेलों की भगदड़ में
ट्रैक पार की हड़बड़ में
ट्रैक पार की हड़बड़ में
हे आम आदमी
तुम्ही क्यों इस्तेमाल किये जाते हो ।
तुम्ही क्यों इस्तेमाल किये जाते हो ।
भाषण सुनाने के लिए
मुद्दे भुनाने के लिए
मुद्दे भुनाने के लिए
बस्तियां जलाने के लिए
रैलियों में नारे लगाने के लिए
रैलियों में नारे लगाने के लिए
सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए
गंदे सीवर में सड़ने के लिए ।
गंदे सीवर में सड़ने के लिए ।
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