Tuesday, February 13, 2018

वक्त पे जागना जरूरी है

पूरी दुनियां में सूरज ने रोशनी छिटका दी
अब चाहे तुम अपने मन के कमरे
और उसके खिड़की दरवाजों को
पर्दों से ढककर इस मुगालते
में रहो की सुब्ह होनी बाकी है
सोचते रहो की अभी तो अंधेरा है ।
अपनी ढीठ पने की चादर मन मष्तिस्क
पे डालकर ये कब तक प्रतीक्षा करते रहोगे
की सुब्ह तब होगी जब कोई अलार्म घड़ी
चीखेगी या कोई मुर्ग़ा बांग देगा ।
सच तो ये है कि बेसुध सोये हुओं को
अलार्म भी नही जगा सकती ।
जागने वाले आहटों से जाग जाते हैं ।
जब तुम्हारी नींद टूटेगी
तब तक बहुत देर हो चुकी होगी
उम्र का सूरज ज़िन्दगी का
आधा आसमान पार कर चुका होगा
तुम घर से निकलोगे तब तक तो
जीवन की सांझ होने वाली होगी ।
वक्त पे जागना जरूरी है बस ।

No comments:

Post a Comment

Pls read and share your views on
manojnaayaab@gmail.com