Monday, January 22, 2018

आओ रेत को निचोड़ें #aao ret ko nichod en#

चलो आओ निचोड़ें
ज़िन्दगी की सूखी रेत
चलो सींचें मिलकर
नफरत से जलते खेत को
नमी कुछ तो महसूस हो रही है
कोशिश करें कुछ बूंदें छलक पड़ेगी
सुख की प्यास और बढ़ने दो
मन को ज़रा और मचलने दो
धुप को मचाने दो शोर
मत छोड़ना आशा का छोर
हवा का रुख मोड़ो
बादलों को झंझोड़ो
उम्मीदों की छड़ी से
करो उसमें सुराख़
कुछ तो बरसेगा ही
जो चली गई रेत में नुमाया नहीं होती
बरसी जो बून्द कभी जाया नहीं होती
चलो आओ निचोड़ें ज़िन्दगी की सूखी रेत को
चलो सींचें मिलकर नफरत से जलते खेत को









No comments:

Post a Comment

Pls read and share your views on
manojnaayaab@gmail.com