Wednesday, March 29, 2017

कत्लखाना #katlakhana#

बिना लाइसेंस के रोज़ क़त्ल करती है
तेरी आँखों से बड़ा कत्लखाना नहीं  ।

कोई कैसे होश संभाले तुम ही कहो
इन होठों से बड़ा कोई मयखाना नहीं  ।

अभी कई जिगर बाकी है क़त्ल होने को
कुछ देर ठहर जाओ अभी जाना नहीं ।

डाल दो हथकड़ियां दिल-ए-नादां को
तेरी ज़ुल्फ़ों सा हसीन कैदखाना नहीं ।

दर्द तुमसे राहतें भी तुम्ही से है "नायाब"
तेरी मुस्कराहट सा कोई दवाखाना नहीं ।

 "मनोज नायाब "

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