ग़ज़ल

ढूंढों मिल जाऊंगा कहीं यहीं वहीँ तुम्हारे इश्क में हम खो गए है कहीं बरसों तुम्हारी खोज में इतने भटके की हम थे जहाँ हम हैं अब भी वहीँ जो आइनों के सामने रोज़ बुदबुदाते हो कह दो बात वो जो रह गई अनकही । जिंदगी हिसाबों में ही उलझ कर रह गई दिखा न पाए तुझे कभी प्यार की खाता बही

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