Saturday, November 7, 2015

Maa माँ

माँ मुझको पढ़ने दे
माँ मुझको तू पढने दे
जीवन मेंआगे बढ़ने दे
कच्ची उम्र में ब्यांह रचाकर
मेरे सपनों को न सड़ने दे
माँ मुझको तू पढने दे ।
मेरा जीवन नाज़ुक गहना
उसको शिक्षा से गढ़ने दे ।
माँ मुझको तू पढने दे
अभी उगा है जीवन सूर्य
मुझे आसमान में चढ़ने दे ।
माँ मुझको तू पढने दे
मुझ बिन तेरा आँगन सूना
भैया से कुछ दिन लड़ने दे
माँ मुझको तू पढने दे ।
न डाल मेरे पैरों में ज़ंज़ीरें
खुले आसमान में उड़ने दे
माँ मुझको तू पढ़ने दे ।
मनोज नायाब

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