Saturday, November 7, 2015

कॉलेज के दिन college ke din

Jकॉलेज के दिन
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कॉलेज के दिन बड़े याद आते हैं मगर कितने जल्दी गुजर गए, मुठी में रेत की तरह कब फिसल गए पता ही नहीं चला, एक अलग दुनिया थी कभी कभी ऐसा लगता है की पूरी कॉलेज लाइफ जी नहीं पाये काश कोई लौटा दे वो दिन फिर से न branded kapde न महंगे मोबाइल फ़ोन जेब में गिनती की pocket money मगर फिर भी कोई गिला शिकवा नहीं था दिल के राजा थे आज सब कुछ है फिर भी उन दिनों सी बात कहाँ । दोस्तों से शर्त लगती तो उन्हीं से पैसे उधार लेकर चाय पिला देते थे और 20 रुपये के बिल चुकाने के लिए भी मीठी सी तकरार होती थी । कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को अपनी मर्ज़ी से सभी दोस्त girl frnd बनाकर बाँट लेते और फिर एक दूजे को छेड़ते और खयाली पुलाव पकाते रहते थे वो भी क्या दिन थे भले ही उससे कभी बात करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाए । कॉलेज के पीछे वाली गली के हनुमान मंदिर की दीवारों पे छुप छुप के अपना roll no. लिख दिया करते थे ताकि भगवानजी की हमारे roll no. याद रहे । नसीब वाले ही होंगे जिन्हें वो कॉलेज के दोस्त आज मिल जाते है दुबारा जीवन के इस मोड़ पे इतने दूर होकर भी ।
शायद इसी का नाम जिंदगी है जो वक्त गुज़र गया फिर लौट कर नहीं आता है ।
मनोज नायाब
#college#girls#friends#canteen#roll no.

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