Log jaan jaate लोग जान जाते

लोग जान जाते क्या है तुमसे मेरा नाता
जो गम में भी मुस्कुराने का हुनर न आता ।।

शुक्र करो कि तेरे कूंचे से गुज़रा ही नहीं
वरना जनाजे में भी वो तेरे ही गीत गाता ।।

ए काश की समंदर न होते तो तूफां न आता
मगर फिर ये है की दरिया किसमें समाता ।।

एक झूठा वादा ही कर जाते आने का तो
इंतज़ार का दिया क़यामत तक जलाता ।।

तेरी परछाई को बांध लेते गिरह से यूँ की
नायाब हमें छोड़कर अगरचे तू चला भी जाता

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