चरागों का काम आसान कर दी न
खोल कर ज़ुल्फ़ें ज़रा शाम कर दो ना तमाम मुस्कुराहटें मेरे नाम कर दो ना अपने रुखसार से पर्दा हटाकर तुम इन चरागों का काम आसान कर दो ना हम भी मशहूर होना चाहते हैं शहर में इश्क़ में ज़रा हमें भी बदनाम कर दो ना
शब्द ताकत बड़ी हुए मत न जोर से न बोल बारिश में फसलां उगे नहीं बाढ़ को मोल सोच में रखो लोच तो जिंदगी में लोचा कम होगा । लेखक एक राष्ट्रवादी कवि है ।