Posts

Showing posts from March, 2023

भाई भाई में

बाबूजी ने तख़्सिम करी जब दौलत भाई भाई में तब भगवान नज़र आया था सबको पाई पाई में । बचपन में लड़ जाते थे जिस भाई की खातिर  उन रिश्तों को धकेल दिया पैसों की अंधी खाई में  कभी हिमालय के विराट स्वरूप सा दिखता है प्रेम सिमट जाता है महज़ कभी ये अक्षर ढाई में नहीं असंभव कुछ भी जग में दोस्त मेरे चाहोगे तो मिल जाएगा पर्वत भी तुमको राई में ।

पीर हर लोगी

एक नज़र तुम देखोगी तो पीर हर लोगी छू ले जो  होठो से धतूरा खीर कर दोगी तुम तो चलती फिरती इक मधुशाला हो दिल में उतर जाओ तो नशा गंभीर कर दोगी तुम तो बहता हुआ एक दूध का दरिया हो उतरो सागर में तो नीर को क्षीर कर दोगी तेरे नैन कटारी से लगते हैं मुझको तो खाली दिल मे ज्यों शमशीर भर दोगी तेरी याद में लिखता हूँ मैं अब तो ग़ज़लें भी लिखते लिखते तुम नायाब को बशीर कर  दोगी

बाबूजी

बाबूजी ने तख़्सिम करी थी जब दौलत भाई भाई में तब भगवान नज़र आया था उनको पाई पाई में । बचपन में लड़ जाया करते थे जिस भाई की खातिर  उन रिश्तों को धकेल दिया स्वार्थ की अंधी खाई में  यू बैठे बैठे सोचोगे तो कुछ भी हासिल नहीं होगा शिद्धत से चाहोगे तो मिल जाएगा पर्वत भी तुमको राई में ।