Wednesday, January 8, 2020

तुझे कागज़ तो दिखाना होगा


तुझे कागज़ तो दिखाना होगा ।
जो यहीं के हो तो यहीं रहो 
गर लांघ कर सरहद आए हो 
तो बिस्तर बांध के जाना होगा
तुझे कागज़ तो दिखाना होगा ।

जो हम वतन हो तो दिल में बिठाएंगे
साथ बैठकर गुनगुनी धूप में सेवईयां खाएंगे
रात के अंधेरों में छुपकर आने वाला
बता वापिस कब रवाना होगा
तुझे कागज़ तो दिखाना होगा ।


चंद कीड़ों को निकालने के लिए
बीनने पड़ते हैं चावल सभी
हमारे भात में कंकर बनने वालों 
सरहद पार तेरा ठीकाना होगा ।
तुझे कागज़ तो दिखाना होगा ।

जो देश के रंग में रंग न सका तो रंगरेज़ कैसा
धरा को मां कहने में इतना परहेज कैसा
अब तो वंदे मातरम भी गाना होगा
तुझे कागज़ तो दिखाना होगा ।


जाने कितने भीतर तक 
अम्न को तुमने कुतरा है ।
भाईचारे की दरियादिली का नशा 
अब जाकर हमें भी उतरा है ।
देश को टुकड़ों में बांटने वालों को
अब तो सबक सिखलाना होगा
तुझे कागज़ तो दिखाना होगा ।


जब गुलिस्तां को उजाड़ रहे थे
सफेद लिबास वाले भेड़िये
नायाब तब हम मौन नहीं थे ।
अपने बच्चों को हमें ये बताना होगा
तुझे कागज़ तो दिखाना होगा ।
























   

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