बोलते आखर

Friday, June 25, 2021

दोस्त जो चले गए

कोरोना ने कितनी जिंदगियां छीन ली
मेरे मोबाइल में जाने कितने नंबर 
अब ऐसे ही पड़े हैं 
जिनको डिलीट करू या रहने दु 
समझ नही पा रहा हूँ
जिन नंबरों से रोज़ आया करते थे
कभी सलाम कभी दुआ 
जाने अब क्या उन्हें हुआ
न उधर से कोई जवाब आता है
न इधर का कोई मज़मून जाता है
वो कितनी दूर चले गए कि जहां पर
रिश्ते नातों के टावर भी नहीं है ।
तुम्हारी हंसती मुस्कुराती dp 
तुम्हारे भेजे हुए वो पुराने message
अब भी सहेज कर रखे हैं मित्र
आ जाओ यार लौट कर अब
दोस्तों की महफिलें सुनी कर गया 
तू तो धोखेबाज निकला रे
तेरी बारी थी न
वो चाय पार्टी भी नहीं दी तुमने
डायल किया गया नंबर हमारी ज़िंदगी की
पहुंच से बहुत दूर है काश 
इतना भर ही कह दे कोई की
की i will call you later
तो कयामत तक इंतजार कर लेते
बस ये नंबर उन्ही 
खोए हुए दोस्तों के 
होने का एहसास है
तुम चले गए दोस्त 
बस छोड़ गए ये मोबाइल नंबर
अपना फेसबुक एकाउंट
कुछ पुरानी जन्मदिन की 
केक काटती तस्वीरें
कुछ कमैंट्स
और अनगिनत लाइक्स
बस यही है खजाना मेरे पास
तुम्हारी यादों के रूप में ।

मनोज नायाब

















9 comments:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 30 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सांझा करने के लिए आपका शुक्रिया

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  2. Replies
    1. धन्यवाद आपका संगीता स्वरूप जी

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  3. बेहद मार्मिक रचना।
    कोरोना काल ने कितने ही प्रियजनों को हमसे दूर कर दिया है।
    ये रचना उनकी याद में और
    सच्ची श्रद्धांजलि है।

    नई रचना पुलिस के सिपाही से by पाश
    ब्लॉग अच्छा लगे तो फॉलो जरुर करना ताकि आपको नई पोस्ट की जानकारी मिलती रहे.

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  4. यथार्थपूर्ण सुंदर सृजन

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  5. मार्मिक अभिव्यक्ति , कोराना काल मे हम सब ने अपनो खोया है , आप को चार लाइन से उनकी यादे आज जहन में ताजा हो गई। नमन आंखों से उनको नमन

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