दोस्त जो चले गए
कोरोना ने कितनी जिंदगियां छीन ली
मेरे मोबाइल में जाने कितने नंबर
अब ऐसे ही पड़े हैं
जिनको डिलीट करू या रहने दु
समझ नही पा रहा हूँ
जिन नंबरों से रोज़ आया करते थे
कभी सलाम कभी दुआ
जाने अब क्या उन्हें हुआ
न उधर से कोई जवाब आता है
न इधर का कोई मज़मून जाता है
वो कितनी दूर चले गए कि जहां पर
रिश्ते नातों के टावर भी नहीं है ।
तुम्हारी हंसती मुस्कुराती dp
तुम्हारे भेजे हुए वो पुराने message
अब भी सहेज कर रखे हैं मित्र
आ जाओ यार लौट कर अब
दोस्तों की महफिलें सुनी कर गया
तू तो धोखेबाज निकला रे
तेरी बारी थी न
वो चाय पार्टी भी नहीं दी तुमने
डायल किया गया नंबर हमारी ज़िंदगी की
पहुंच से बहुत दूर है काश
इतना भर ही कह दे कोई की
की i will call you later
तो कयामत तक इंतजार कर लेते
बस ये नंबर उन्ही
खोए हुए दोस्तों के
होने का एहसास है
तुम चले गए दोस्त
बस छोड़ गए ये मोबाइल नंबर
अपना फेसबुक एकाउंट
कुछ पुरानी जन्मदिन की
केक काटती तस्वीरें
कुछ कमैंट्स
और अनगिनत लाइक्स
बस यही है खजाना मेरे पास
तुम्हारी यादों के रूप में ।
मनोज नायाब
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 30 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सांझा करने के लिए आपका शुक्रिया
Deleteमार्मिक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद आपका संगीता स्वरूप जी
Deleteबेहद मार्मिक रचना।
ReplyDeleteकोरोना काल ने कितने ही प्रियजनों को हमसे दूर कर दिया है।
ये रचना उनकी याद में और
सच्ची श्रद्धांजलि है।
नई रचना पुलिस के सिपाही से by पाश
ब्लॉग अच्छा लगे तो फॉलो जरुर करना ताकि आपको नई पोस्ट की जानकारी मिलती रहे.
धन्यवाद rohitash ji
Deleteयथार्थपूर्ण सुंदर सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteमार्मिक अभिव्यक्ति , कोराना काल मे हम सब ने अपनो खोया है , आप को चार लाइन से उनकी यादे आज जहन में ताजा हो गई। नमन आंखों से उनको नमन
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