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Showing posts from May, 2020

लोक हित

शब्द का आधार है  कलम  कलम का आधार व्यक्ति ब्यक्ति विचारों का बिचार मन का और मन हृदय का हृदय इच्छाओं का इसीलिए लोभ वासना स्वार्थ कामना मुक्त हृदय  संवेदनशील हृदय सृजन करता लोक हित के साहित्य का । मनोज नायाब    

चांद काँपा हुआहै

ये तो गनीमत है चेहरा उनका  चिलमन से ढांपा हुआ है । बस एक नज़र देख कर ही  चांद कितना काँपा हुआ है । एक नज़र देखकर ही चांद काँपा हुआ है । गनीमत है चेहरा ज़ुल्फ़ों से ढांपा हुआ है । तुम्हारी यादें बेच कर आया हूँ  देखें इश्क़ मैं कितना मुनाफा हुआ है । भूखे प्यासे हर्फ़ रखे हैं खत में तब वज़्न में हल्का लिफाफा हुआ है। हमने दावा चांद पर किया ही नहीं क्यों सितारों में इतना सियापा हुआ है । मनोज नायाब