बोलते आखर

Thursday, April 21, 2022

दोहे

घड़ी बंद जो कोई करे
समय बंद नहीं होय
झूठ छिपाया झुठ छिपे
सत्य का अंत न होय

सूरज जो बादल छिपे
कुछ पल को उजाला खोय
कह नायाब बादल हटे
देख अंधेरा रोय

जड़ ना बदले पेड़ की
बदले पत्ती फूल
जो जड़ को हानी करे
मिट जावे वो मूल

मनोज नायाब


No comments:

Post a Comment

Pls read and share your views on
manojnaayaab@gmail.com