बोलते आखर

Friday, June 11, 2021

राधा हो जाऊं

यादों में चांद सा जल कर आधा हो जाऊं ।
जो दिल करे रोने का तो मैं कांधा हो जाऊं ।

जमना के तट पर फिर खिले प्रेम के पुष्प ।
दिल करता है आज इश्क़ में राधा हो जाऊं ।

चालाकियां मक्कारियाँ सब करके देखा मैंने ।
अच्छा यही होगा इंसा सीधा साधा हो जाऊं ।



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